नवरात्र की एक पहचान गरबा के रूप में भी होती है। साल भर लोग इस नवरात्रि का इंतज़ार करते है, क्योंकि इस समय गरबा का आयोजन किया जाता है।
जिसमे नृत्य के द्वारा देवी अम्बा का आव्हान किया जाता है। दोस्तों भारतीय सभ्यता में नवरात्री का एक खास स्थान है। इसको बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ एक सामूहिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
History
यह नृत्य कला है, जिसको नवरात्री के दौरान किया जाता है। इसके बारे में गुजरात में एक अति प्रचलित दन्त कथा है, कि प्राचीन काल में जब देवताओं पर दानवों का अत्याचार बढ़ गया।
देवी ने दुर्गा या अम्बा के रूप में महिषासुर नामक राक्षस का वध किया और देवताओं तथा संसार को आसुरी शक्तियों से बचाया।
तभी से गुजरात में देवी अम्बा को शक्ति के स्वरुप में पूजा और देवी अम्बा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री के दौरान यह नृत्य किया जाने लगा।
देवी की उपासना के लिए एक मिटटी के मटके में छिद्र करके उसके अंदर एक दीप प्रज्जवलित करके रखा जाता है और एक चांदी का सिक्का और सुपारी भी राखी जाती है इस मटके को गर्भ के रूप में माना जाता है ।
Dandia
गरबा और डांडिया को अक्सर एक साथ ही मिलाकर देखा जाता है। लेकिन पूर्व में नृत्य के दौरान डांडिया नहीं किया जाता था।परन्तु समय के साथ इसका का स्वरुप बदला और डांडिया भी गरबा में शामिल हो गया।
डांडिया और कृष्ण का बहुत गहरा साथ है। आप सभी जानते हो की भगवांन कृष्ण अपनी गोपियों के साथ रासलीला किया करते थे।
उसी रासलीला के दौरान जो नृत्ये किया जाता था। उसमे रंग बिरंगी डंडियों का प्रयोग किया जाता था। जिसके कारण उसको डांडिया कहा जाता है।
भारत के हर प्रान्त में ही नहीं विदेशों में भी बड़े स्वरुप में आयोजन किये जाते है। समाज का हर वर्ग इसमें भाग लेता है। यही नहीं भारतीय अर्थव्यवस्था में भी इन् आयोजनों द्वारा बहुत योगदान मिलता है।
गुजरात में भगवन कृष्ण को ठाकुर जी के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इसी कारण डांडिया और गरबा एक दुसरे के पूरक है।
वर्तमान समय में गुजरात राज्य की राजधानी अहमदाबाद में भारत के सबसे भव्य पारम्परिक उत्सव का आयोजन होता है। आधुनिक स्वरुप को मुंबई में देखा जा सकता है।